मम्मी फ़ार्म हाउस और वो
मेरे पुरखे काफ़ी सम्पत्ति छोड़ गये थे। मेरे पिता की मृत्यु छः-सात साल पहले हो चुकी थी। मेरी मम्मी और उनके मैनेजर ही सारा व्यापार सम्भालते थे। मेरा फ़ार्म-हाऊस घर से बीस बाईस किलोमीटर की दूरी पर था। उसे मैं ही सम्भालता था। फ़ार्म-हाऊस क्या था मेरी ऐशगाह था। मैं दोस्तों के साथ वहाँ पार्टियां करता था। मम्मी उस तरफ़ नहीं आती थी। मैं कॉलेज पढ़ता था ... और कैसे ना कैसे मैं पास हो ही जाता था। मेरी मम्मी का घर में एक अलग ही भाग था, जहाँ पर वो अपने खास सहयोगियों के साथ काम किया करती थी।
पढ़ाई और चुदाई
बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।
शीला और पनदितजी
एक लदकि है शीला, बिलकुल सीधी सादि, भोलि-भालि, भगवन मेन बहुत विशवास रकने वालि। उनफ़ोरतुनतेली, शादि के 1 साल बाद हि उसके पति का ससूतेर अस्सिदेनत हो गया और वो ऊपर चला गया। तब से शीला अपने पपा-मुम्मी के साथ रेहने लगि। अभि उसका कोइ बच्चा नहिन था।उसकि अगे 24 थी। उसके पपा मुम्मी ने उसेह दूसरि शादि के लिये कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर दिया था। वो अभि अपने पति को नहिन भुला पयी थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज 6 महीने हो गये थेह।
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